सम्राट जरासंध पर अभद्र टिप्पणी पर अटार्नी जनरल आर वेकटरमणी मांगे माफी- राष्ट्रीय अध्यक्ष Aicya

केन्द्र सरकार के नोट बंदी पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा केंद्र सरकार से जवाब मांगा गया तो केन्द्र सरकार की ओर से अटॉर्नी जनरल वेंकटरमणी द्वारा अमर्यादित टिप्पणी करते हुए जाली नोटों की तुलना मगध नरेश सम्राट जरासंध से कर दी।

ऑल इंडिया चन्द्रवंशी युवा एसोसिएशन ने अटार्नी जनरल के इस ब्यान की घोर निंदा करते हुए कड़े शब्दों में अलोचना की है। संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित राजन चन्द्रवंशी ने कहा कि केन्द्र सरकार के पास नोटबंदी के फैसले को सही ठहराने का उचित जवाब नहीं है , जिसके कारण केन्द्र सरकार के प्रतिनिधि ने भावनात्मकता का फायदा उठाकर काले धन और आतंकवाद की तुलना सम्राट जरासंध से कर दी।

राष्ट्रीय अध्यक्ष ने इसकी सूचना महामहीम राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को आवेदन द्वारा दी है। साथ ही कहा कि अटॉनी जनरल को शायद ज्ञात नहीं है कि सम्राट जरासंध एक महान शिवभक्त , महान दानी , ब्राह्मण और आतिथ्य सेवक थे। यही कारण था कि श्रीकृष्ण जरासंध के राज्य में प्रवेश करते समय ब्राह्मण का रूप धारण कर लिये थे क्योंकि उन्हें पता था कि जब तक वह ब्राह्मण रूप में हैं तबतक जरासंध उनको किसी प्रकार की क्षति नहीं पहुंचाएगा और उनकी हर मनचाही वर को सहर्ष स्वीकार कर लेगा।

सम्राट जरासंध ने अपने परम शत्रु को सामने पाकर भी अतिथि देवोभव: धर्म का पालन किया। यही नहीं मत्स्य पुराण, वायु पुराण जैसे काव्यों में सम्राट जरासंध को जरासंधेश्वर की उपाधि देते हुए कहा गया है कि “जरासंधेश्वर के समान आज तक कोई धर्मात्मा नहीं हुआ, जिसने अराधना कर स्वर्ग के समस्त देवतागण को मलमास माह में राजगीर में वास करने का वचन लेकर पर विद्यमान किया हो”।

ऐसे महान व्यक्तित्व वाले सम्राट का एक उच्च पदाधिकारी द्वारा आतंकवाद से जोडकर अपमानित करना पूरे सनातन धर्म को अपमानित करने के बराबर है। नाकारात्मक चित्रण वाली संज्ञा पर राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष विजय सिंह कश्यप ने कहा कि श्रीकृष्ण दोनों ही एक ही वंश अर्थात् चन्द्रवंश से हैं। चन्द्रवंशी नरेश ययाति के पुत्र पुरू की 21 वें पीढ़ी के राजा हस्ती के प्रथम पुत्र अजमीढ़ की दसवीं पीढ़ी में सम्राट जरासंध का जन्म तथा हस्ती के ही द्वितीय पुत्र देवमीढ़ के 13 वें पीढ़ी में वासुदेव (श्रीकृष्ण के पिता) का जन्म हुआ।

सभी जानते हैं कि महाभारत पारिवारिक विवाद की कथा है। इसलिए सम्राट जरासंध को राक्षस की संज्ञा भी अनुचित है। अटार्नी जनरल के द्वारा इस अभद्र टिप्पणी से पूरे चन्द्रवंशी समाज में आक्रोश व्याप्त हैं। उन्होंने कहा कि इस अभद्र ब्यान पर अगर केन्द्र सरकार द्वारा ठोस कदम नहीं उठाया गया तो इसका परिणाम केन्द्र सरकार को भुगतना पडेगा।

ज्ञात हो कि सम्राट जरासंध के वंशज बिहार, झारखंड, बंगाल, यूपी के अतिरिक्त समस्त भारत में रवानी, चंदेल के नाम से जाने जाते हैं। साथ ही भारत के लगभग सभी क्षत्रिय जातियाँ महाभारत या रामायण के ही किसी पात्र को अपना अराध्य मानकर पूजा अर्चना करते हैं। ऐसे में इस तरह का अमर्यादित ब्यान उनके वंशजों के भावनाओं का आहत करता है, जो संवैधानिक अपराध भी है।

सम्राट जरासंध पर अभद्र टिप्पणी पर अटार्नी जनरल आर वेकटरमणी मांगे माफी- राष्ट्रीय अध्यक्ष Aicya
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